एक ग्राम प्रहरी ऐसा भी
सभार: गुणानंद जखमोला
– कंचन को गुलदार के जबड़े से निकाल लाया अंकित
– 26 साल का अंकित कंडारी बन गया देवराड़ी गांव का हीरो
10 दिसम्बर। पौड़ी के पोखड़ा ब्लाक का देवराड़ी गांव। सुबह के लगभग सवा 11 बज रहे थे। गांव का युवक अंकित कंडारी अपने दो साथियों के साथ संगलाकोटी बाजार जा रहा था। उसका एक साथी मोटरसाइकिल में तेल भरवाने गया तो वह रुक गया। अचानक ही महिलाओं का शोर हुआ। महिलाएं बुरी तरह से चिल्ला रही थी। बाघ-बाघ। इस बीच एक महिला की चीत्कार सुनाई दी। अंकित गांव के जंगल की ओर दौड़ा। देखा कि गुलदार ने 36 वर्षीय कंचन की गर्दन को अपने जबड़े में दबाया हुआ है। अंकित तेजी से उस ओर गया। पहले उसने दो-तीन पत्थर गुलदार पर मारे, लेकिन गुलदार कंचन की गर्दन मुंह में दबाए रहा। गांव का जंगल गांव से महज 250 मीटर की दूरी पर है।
अंकित के अनुसार उसे कुछ और नहीं सूझा और वह तेजी से गुलदार की ओर दौड़ा। गुलदार पर झपटा मार कर कंचन को पकड़ा। यह देख गुलदार डर गया और उसकी पकड़ कंचन पर ढीली पड़ गयी। ग्रामीणों के शोर और अकित के साहस को देख गुलदार वहां से भाग गया। अंकित ने बताया कि उसने तुरंत कंचन की गर्दन से बह रहे खून को रोकने की कोशिश की। तब तक ग्रामीण भी आ गये थे। इसके बाद कंचन को 108 के माध्यम से प्राथमिक अस्पताल और फिर सतपुली ले जाया गया। इसके बाद उसे पोखड़ा के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेंद्र रावत सूरी और राजपाल बिष्ट की मदद से एयर एम्बुलेंस से एम्स ऋषिकेश पहंुचाया गया।
बता दूं कि 26 वर्षीय अंकित ने 12वीं पास की है। वह ग्राम प्रहरी है। वेतन महज दो हजार महीना मिलता है। यह वेतन भी आठ-दस महीने में एक बार आता है। अंकित का कहना है कि यदि कंचन की जगह कोई और होता तो भी वह ऐसा ही करता। अंकित की बहादुरी को ग्रामीण खूब सराह रहे हैं। सूरी के अनुसार यदि अंकित नहीं होता तो कंचन की जान बचनी मुश्किल थी। अंकित की बहादुरी को सलाम।










