दिल्ली।भारत को आज नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए प्रत्याशी सी. पी. राधाकृष्णन ने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। संसद भवन में हुए मतदान में राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी प्रत्याशी को केवल 300 वोट ही हासिल हो सके। कुल 781 सांसदों में से 767 सांसदों (98.21%) ने मतदान में भाग लिया।
एनडीए की जीत और विपक्ष की चुनौती
यह नतीजा स्पष्ट रूप से बताता है कि संसद में एनडीए गठबंधन मजबूत स्थिति में है। राधाकृष्णन की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की एकजुटता का प्रमाण मानी जा रही है। वहीं, विपक्षी दलों के लिए यह परिणाम निराशाजनक रहा है।
उपराष्ट्रपति का संवैधानिक महत्व
भारत में उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वे राज्यसभा के सभापति (Chairperson) होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति के अस्थायी कार्यभार का निर्वहन भी करते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सांसदों के वोट से, गुप्त मतदान प्रणाली के तहत होता है।
सी. पी. राधाकृष्णन का परिचय
पूरा नाम: चंद्रापुरम पोनुसामी राधाकृष्णन
जन्म: 4 मई 1957
राजनीतिक जीवन:
भाजपा के वरिष्ठ नेता और लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े।
1998 और 1999 में तमिलनाडु की कोयंबटूर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।
भाजपा तमिलनाडु इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके।
हाल ही में महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल पद पर कार्य कर चुके।
राधाकृष्णन अपनी सहज और सौम्य कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। उन्हें भाजपा का अनुभवी और जमीनी नेता माना जाता है।
पूर्व उपराष्ट्रपति का इस्तीफा
गौरतलब है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दिया था। उनके बाद यह चुनाव कराना आवश्यक हो गया था।
निष्कर्ष
सी. पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय है। संसद में उनकी भूमिका न केवल महत्वपूर्ण होगी बल्कि वे सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखने की भी बड़ी जिम्मेदारी निभाएंगे।