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Friday, June 27, 2025
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एसपी रुद्रप्रयाग ने किया रिपोर्टिंग पुलिस चौकी चोपता का आकस्मिक निरीक्षण ,तृतीय केदार तुंगनाथ तक पैदल पहुंचकर यात्रा व्यवस्थाओं का लिया गया जायजा।

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*एसपी रुद्रप्रयाग ने किया रिपोर्टिंग पुलिस चौकी चोपता का आकस्मिक निरीक्षण*

*तृतीय केदार तुंगनाथ तक पैदल पहुंचकर यात्रा व्यवस्थाओं का लिया गया जायजा*

पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग श्री अक्षय प्रहलाद कोंडे ने थाना ऊखीमठ के अन्तर्गत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी चोपता का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। चौकी क्षेत्रान्तर्गत स्थित रमणीक स्थल चोपता व आसपास के क्षेत्र की जानकारी लेते हुए सहित तुंगनाथ मन्दिर पैदल ट्रैक पर आने वाले ट्रैकर, पर्यटकों व यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये। स्वयं उनके द्वारा तुंगनाथ मन्दिर तक पहुंचकर पैदल भ्रमण कर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। इस दौरान उनके द्वारा पर्यटकों व यात्रियों से वार्ता कर उनके अनुभव जाने गये। उनके द्वारा उपस्थित थाना प्रभारी ऊखीमठ मुकेश चौहान को निर्देशित किया गया कि चोपता क्षेत्रान्तर्गत व तुंगनाथ पैदल मार्ग पर पुलिस के स्तर से निरन्तर गश्त किये जाने तथा अवांछनीय गतिविधियों पर प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये

उत्तराखंड को पहली नवरात्रि पर मिली बड़ी सौगात।,केंद्रीय पूल से मिलेगी 480 मेगावाट अतिरिक्त बिजली।

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*उत्तराखंड को पहली नवरात्रि पर मिली बड़ी सौगात*

*केंद्रीय पूल से मिलेगी 480 मेगावाट अतिरिक्त बिजली*

*केंद्र सरकार ने एक हफ्ते में ही अतिरिक्त कोटा जून 2025 तक बढ़ाया*

*मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री व ऊर्जा मंत्री का जताया आभार*

देहरादून। प्रदेशवासियों को अब शीतकाल में भी निर्बाध बिजली मिलेगी। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को आवंटित अतिरिक्त बिजली कोटे में 180 मेगावाट की वृद्धि कर इसकी समयावधि को भी 30 जून 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है। विगत 26 सितंबर को केंद्र की ओर से 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली 31 मार्च 2025 तक के लिए उत्तराखंड को आवंटित की गई थी। इस प्रकार अब कुल 480 मेगावाट अतिरिक्त बिजली केंद्रीय पूल से उत्तराखंड को मिलेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर का आभार प्रकट किया है।

मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश को बिजली संकट से निजात दिलाने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर केंद्रीय पूल से उत्तराखंड को अतिरिक्त बिजली आवंटित करने का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि राज्य में बिजली की मांग और उपलब्धता के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। बिजली उत्पादन बढ़ाने को राज्य सरकार सौर ऊर्जा, हाइड्रो पावर और कोयले से बिजली उत्पादन के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है।

मुख्यमंत्री धामी की प्रभावी पैरवी पर केंद्र ने उत्तराखंड के लिए अतिरिक्त बिजली का कोटा बढ़ा दिया है। शीतकाल में बर्फबारी और अन्य कारणों से जल विद्युत परियोजनाओं के उत्पादन में गिरावट आने से राज्य में कई बार बिजली सप्लाई पर असर पड़ता है। अब केंद्रीय पूल से मिलने वाले अतिरिक्त कोटे में वृद्धि से उपभोक्ताओं को शीतकाल में भी निर्बाध बिजली मिलेगी।

उत्तराखंड को केंद्रीय पूल से 480 मेगावाट अतिरिक्त बिजली स्वीकृत करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर जी का आभार। केंद्रीय पूल से 480 मेगावाट बिजली मिलने से अब प्रदेशवासियों को शीतकाल में भी बिजली निर्बाध मिलती रहेगी।

 

उत्तराखंड में डीजीपी पद के लिए आईपीएस अभिनव कुमार के नाम पर UPSC को आपत्ति।

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नई दिल्ली-उत्तराखंड में इन दिनों पुलिस विभाग के मुखिया यानी पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के नाम पर स्थाई डीजीपी के लिए UPSC के द्वारा असहमति जताई गई हैं।उत्तराखंड के मौजूदा डीजीपी अभिनव कुमार का उत्तर प्रदेश कैडर होने के चलते पैनल की तरफ़ से असहमति व्यक्त की गई हैं।

केंद्र में संघ लोक सेवा आयोग ने स्क्रूटनी करने के बाद 03 पुलिस अधिकारियों नाम उत्तराखंड सरकार को भेजे हैं,और यह सभी अधिकारी उत्तराखंड कैडर के भी हैं।जिनमें से 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ,1995 बैच के ही आईपीएस अधिकारी डॉ पीवीके प्रसाद और 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार सिन्हा का नाम भी शामिल हैं।

विदित हैं कि मौजूदा समय में आईपीएस अभिनव कुमार ही उत्तराखंड में पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी कार्यवाहक के रूप में देख रहे हैं।डीजीपी के रूप में अभिनव कुमार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही उत्तराखंड में स्थायी पुलिस मुखिया के लिए कार्यवाही शुरू कर दी गई थी।जिसके चलते उत्तराखंड गृह विभाग से 07 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल पुलिस महानिदेशक पद पर पदोन्नति के लिए केंद्र को भेजा गया था।जिसमें मानको के अनुसार पुलिस महानिदेशक पद के लिए 30 वर्ष की सेवा अनिवार्य थी,लेकिन इसमें बदलाव करते हुए इसे 25 वर्ष कर दिया गया था।यदि 30 वर्ष की सेवा वाला कोई अधिकारी राज्य में मौजूद होता तो ताजपोशी का निर्णय राज्य सरकार कर पाती।लेकिन इससे कम सेवा पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।

आईपीएस अभिनव कुमार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी और काफ़ी तेज तर्रार अधिकारी हैं।यही कारण है कि अभी तक उन्हें डीजीपी की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था।लेकिन विशेष सूत्रो के हवाले से आई खबर पर यकीन किया जाये तो उत्तराखंड में डीजीपी पद के लिए बैठाए गए आज तक के सभी समीकरण गलत भी साबित हो सकते हैं। आईपीएस अभिनव कुमार के नाम पर केंद्र द्वारा असहमति जतायें जाने की खबर के बाद अब चर्चा यह भी होने लगी है कि डीजीपी की दौड़ में दीपम सेठ,डॉ पीवीके प्रसाद और अमित कुमार सिन्हा ही रह गए हैं,या अभी भी समीकरण बदल सकते हैं।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति: बदलाव की बयार, विरोध दरकिनार।

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उत्तराखंड। साल 2020 में कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की गति अनायास रोक दी थी। उत्तराखंड भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। पहले लॉकडाउन और उसके बाद महामारी से जूझने के लिए अमल में लाई गई उपायों की लंबी श्रृंखला ने चारधाम यात्रा को लगभग ठप्प कर दिया था। इससे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वित्तीय स्थिति भी डगमगा गयी थी।

महामारी के भय से उबरी दुनिया ने जब दोबारा गति पकड़ी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यात्रा मार्गों पर भी हलचल नज़र आने लगी। वर्ष 2022 प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को बीकेटीसी के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा। अजेंद्र के नेतृत्व में बीकेटीसी ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया और शासन के सहयोग से यात्रा के लिए आवश्यक अवस्थापना विकास से लेकर परिवेश निर्माण तक के कार्यों को गतिमान किया।

पूर्व में कार्मिकों के वेतन, दैनिक क्रियाकलापों के संचालन और विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए बीकेटीसी को आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ता था। अजेंद्र के कार्यकाल में आय के नए स्रोतों के समुचित नियोजन से बीकेटीसी का वित्तीय तलपट आशातीत लाभ दर्शाने लगा है। विगत ढाई वर्षों में बीकेटीसी की परिधि में आने वाले अनेक पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की सराहनीय पहल की गई। इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर स्थित विभिन्न विश्राम गृहों के उच्चीकरण के भी अभूतपूर्व कार्य किये गए।

बाबा केदार की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में कोठा भवन के जीर्णोद्वार और मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व में करीब आधा दर्जन से अधिक बार यहां पर भूमि पूजन भी किये गए। मगर अजेंद्र ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया और वर्तमान में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सहयोग से पांच करोड़ रूपये की लागत से प्रथम चरण के कार्य तेजी से गतिमान हैं।

वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके श्री ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण गत वर्ष एक दानीदाता के सहयोग से एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में कराया गया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में ध्वस्त हो चुके भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता करीब एक दशक से उठाती रही है। मगर अजेंद्र के प्रयासों से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होने को है। इसके अलावा तुंगनाथ व विश्वनाथ मंदिर की जर्जर हो चुकी छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य भी सम्पन्न कराये गए हैं।

अजेंद्र के कार्यकाल का सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराना रहा है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, सिद्धि विनायक, राम मंदिर अयोध्या जैसे तमाम प्रमुख मंदिरों में स्वर्ण मंडित विभिन्न कार्य कराने वाले मुंबई के लाखी परिवार ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से स्वर्ण मंडित किया। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। मगर कुछ लोगों के दुष्प्रचार को नजरअंदाज कर दिया जाए तो वास्तव में बाबा केदार के गर्भगृह की स्वर्णमयी आभा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है।

बीकेटीसी में वित्तीय नियोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आश्चर्यजनक रूप से पूर्व में यहां इसके नियंत्रण की कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी। अजेंद्र ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले वित्तीय पारदर्शिता के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित करने की पहल की और इस पर शासन से प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती करवाई। इससे आर्थिक गतिविधियों का नियामन त्रुटिहीन हो गया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि बीकेटीसी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों को सम्पादित करने के बावजूद आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गयी है। बीकेटीसी ने वर्तमान यात्राकाल में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा सुविधाओं के विकास के लिए प्रदेश सरकार को दस करोड़ रूपये की धनराशि प्रदान की। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा कि जब किसी निगम अथवा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को सहयोग के रूप में धनराशि दी होगी।

वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय में गठित बीकेटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी और ना ही कार्मिकों के लिए कोई सेवा नियमावली थी। बीकेटीसी के इतिहास में पहली बार अजेंद्र ने इसके लिए पहल की और तमाम गतिरोधों के बावजूद सेवा नियमावली बनायीं। धार्मिक संस्थाओं के लिए इस तरह की नियमावली का निर्माण करना दरअसल एक संवेदनशील विषय रहा है। प्रचलित परंपराओं के साथ आवश्यक वैधानिक शर्तों का संयोजन एक चुनौतीपूर्ण टास्क होता है। लिहाजा, इससे पूर्व किसी ने भी इस संवेदनशील विषय को छूने का साहस नहीं किया।

प्रशासनिक व्यवस्था के निर्बाध प्रचालन और कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के लिए भी कई प्रयास किये गए। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कार्मिकों का स्थानांतरण था। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार कार्मिकों के स्थानांतरण किये गए। स्थानांतरण प्रक्रिया ने मंदिर समिति में भूचाल ला दिया था। मगर अध्यक्ष ने कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय देते हुए स्थानांतरण आदेशों को लागू करा कर छोड़ा। कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ कार्मिकों को गोल्डन कार्ड सुविधा प्रदान करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए।

सुधारों के क्रम में धामों में दर्शन व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए बीकेटीसी ने अपना सुरक्षा संवर्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है। इसको सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिरों में दर्शन व सुरक्षा की कमान बीकेटीसी के सुरक्षाकर्मियों के पास होगी।

हालांकि, सुधारों की राह कभी भी आसान नहीं होती है। बीकेटीसी में भी सुधार की बयार कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और वे अध्यक्ष अजेंद्र के विरुद्ध लगातार बात-बेबात के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते रहते हैं। मगर अजेंद्र ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए अपना अभियान जारी रखा है।

पहाड़ के डाकघरों में हरियाणा और पंजाब के 157 युवा देंगे सेवाएं,जबकि उत्तराखंड से मात्र तीन ही चयनित।

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गोपेश्वर (चमोली)-

उत्तराखंड में सरकारी नौकरी के लिए मारामारी मची है, वहीं डाक विभाग में बीपीएम (ब्रांच पोस्ट मास्टर) और एबीपीएम (असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर) के पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया में अधिकांश युवा हरियाणा और पंजाब के नियुक्त हैं।

डाक विभाग में मेरिट आधार पर बीपीएम और एबीपीएम के 160 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण हो गई है, जिसमें 157 पदों पर हरियाणा और पंजाब के युवा नियुक्त हुए हैं, जबकि मात्र तीन पदों पर उत्तराखंड के एसटी (अनुसूचित जनजाति) कोटे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई है। अब सफल अभ्यर्थियों को चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के पोस्टऑफिस आवंटित किए जाएंगे।

चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के डाक विभाग का प्रधान कार्यालय गोपेश्वर में स्थित है। चमोली व रुद्रप्रयाग में 348 शाखा डाकघर, 39 वितरण केंद्र व 5 उपडाकघर संचालित होते हैं अधिकांश डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों से घिरे हुए हैं। दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में बुजुर्ग और दिव्यांग उपभोक्ता लेन-देन के लिए पोस्टऑफिस पर ही निर्भर रहते हैं। कई शाखा डाकघर में डाकपाल, डाक रनर (डाक लाना-ले जाना) और सहायक शाखा डाकपाल के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे थे।

बीते मई माह में डाक विभाग की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर ब्रांच पोस्ट मास्टर और सहायक शाखा डाकपाल के पदों पर विज्ञप्ति जारी की गई थी। नियुक्तियां मेरिट के आधार पर की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के अभ्यर्थी शामिल हुए। सबसे अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थी हरियाणा और पंजाब के मिले। प्रधान डाकघर गोपेश्वर की ओर से सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। डाकघरों में बीपीएम व एबीपीएम के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है। अधिकांश अभ्यर्थी हरियाणा और पंजाब के सफल हुए हैं। उन्हें प्राथमिकता वाले डाकघरों में नियुक्त किया जाएगा।

रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के डाकघरों में नियुक्त होने जा रहे हरियाणा और पंजाब के अधिकांश अभ्यर्थियों के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में गणित विषय में 100 में से 99 अंक हासिल किए हैं। मगर उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें प्रतिशत निकालना ही नहीं आ रहा है। डाक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वे पत्र भी ढंग से नहीं लिख पा रहे हैं। उन्हें गढ़वाली बोली भी समझ में नहीं आ रही है। हिंदी भी ढंग से नहीं बोल पा रहे हैं। ऐसे में ये अभ्यर्थी ग्रामीण क्षेत्रों के पोस्ट ऑफिस को कैसे संभाल पाएंगे, यह सोचनीय विषय है

धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज,अल्मोड़ा के बाद अब हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू।

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*धामी सरकार ने तीन साल में शुरु किए दो मेडिकल कॉलेज*

*अल्मोड़ा के बाद अब हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू*

*दोनों जगह फर्स्ट इयर में बढ़ी 200 एमबीबीएस सीटें*

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तीन साल के कार्यकाल के दौरान, उत्तराखण्ड में दो नए मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। धामी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2022 में अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुका है, और अब इसी सत्र से हरिद्वार मेडिकल कॉलेज भी शुरू होने जा रहा है। दोनों जगह की कुल 200 नई सीटें जुड़ने से उत्तराखण्ड में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़कर 625 हो गई है।
पुष्कर सिंह धामी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने से पहले प्रदेश में श्रीनगर, देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ही संचालित हो रहे थे। हालांकि तब तक अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पर भी काम शुरू हो चुका था। कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल बाद प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाने के संकल्प के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन दोनों मेडिकल कॉलेजों को प्राथमिकता पर शुरू करने के निर्देश दिए। जिसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर पूरा किया गया। जिसमें से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज का निर्माण पहले पूरा होने पर यहां 2022 से ही मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अब इसी क्रम में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का भी निर्माण कार्य पूरा होने से इसी शैक्षिक सत्र से यहां भी एमबीबीएस की 100 सीटों पर प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है।
मेधावी छात्रों को मौका
केंद्र सरकार ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए 100 मौजूदा शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए 100 सीटें मंजूर कर दी हैं। इसके लिए अब काउंसिलिंग शुरू की जा रही है। इससे प्रदेश के और अधिक बच्चों को एमबीबीएस करने का मौका मिलेगा, इसके लिए उन्हें सरकारी फीस ही चुकानी है।

उत्तराखंड में सरकारी मेडिकल कॉलेज और सीटें
देहरादून – 150
हल्द्वानी -125
श्रीनगर – 150
अल्मोड़ा – 100
हरिद्वार -100
—————–
कुल 625

*हमारी सरकार नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के जरिए जहां स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर रही है, वहीं इससे मेधावी छात्रों को भी अपने प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई सस्ती दरों पर करने का मौका मिलेगा। हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए जल्द पहले बैच की काउंसिलिंग शुरू होगी, जल्द ही पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा करते हुए जरूरी मान्यता दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।*

रामबाड़ा पुल का निर्माण पूरा, आवाजाही शुरू,एक महीने में तैयार हुआ पुल, श्रद्धालुओं को बड़ी राहत

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रुद्रप्रयाग।केदारघाटी में 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के चलते श्री केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग के महत्वपूर्ण पड़ाव रामबाड़ा में क्षतिग्रस्त हुए पुल का पुनर्निर्माण कार्य पूरा हो गया है। अतिवृष्टि के बाद से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार मामले पर अपडेट ले रहे हैं एवं गढ़वाल कमिश्नर सहित आपदा सचिव को भी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी है। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के नेतृत्व में डिस्ट्रिक डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की टीम ने विपरीत परिस्थितियों के बीच रिकॉर्ड समय में पुल का निर्माण पूरा कर दिया है। मंगलवार से इसपर आवाजाही भी शुरू हो गया है।

केदारघाटी में 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के चलते केदरनाथ सड़क एवं पैदल मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया था। पैदल यात्रा मार्ग 17 स्थानों पर अत्यधिक क्षतिग्रस्त था जिसमें सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में रामबाड़ा का पुल भी शामिल था। पुल नहीं होने से श्रद्धालुओं को वैकल्पिक मार्ग से ज्यादा दूरी तय कर जाना पड़ रहा था। विभिन्न स्थानों पर रास्ते क्षतिग्रस्त होने के चलते घोड़े- खच्चरों का संचालन बंद था जिसके चलते पुल से जुड़ी सामग्री समय पर नहीं पहुंच पा रही थी बावजूद इसके संबधित विभाग द्वारा न्यूनतम समय में कार्य पूर्ण किए जाने पर जिलाधिकारी ने डीडीएमए की सराहना की। अधिशासी अभियंता डीडीएमए विनय झिकवांण ने बताया कि 21 मीटर स्पाम का यह पुल सुरक्षात्मक कार्यों के साथ मिलाकर करीब 75 लाख में बनकर तैयार हुआ है। यात्रा के दृष्टिगत श्रद्धालु एवं घोड़े- खच्चरों का आवागमन मंगलवार से शुरू करवा दिया गया है।

मानसून थमते ही चारधाम यात्रा ने पकड़ी रफ्तार ,धामी सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन ने जीता यात्रियों का विश्वास*

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*मानसून थमते ही चारधाम यात्रा जोर पर*

*धामी सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन ने जीता यात्रियों का विश्वास*

*एक दिन में पहुंच रहे 20 हजार से अधिक श्रद्धालु*

*केदारनाथ धाम में सोमवार को पहुंचे 7350 यात्री*

*इस यात्राकाल में अभी तक दर्शन को आ चुके हैं 38 लाख तीर्थयात्री*

देहरादून। प्रदेश सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन और सुरक्षा इंतजामों के चलते चार धाम यात्रा को लेकर यात्रियों में भारी उत्साह है। मानसून थमते ही यात्रा ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। बीते दिवस 30 सितंबर को 20497 श्रद्धालु चार धाम दर्शन को पहुंचे। इनमें केदारनाथ धाम में सर्वाधिक 7350 तीर्थयात्री पहुंचे। अभी तक के पूरे यात्राकाल की संख्या पर नजर दौडाएं तो करीब 38 लाख श्रद्धालु चारधाम दर्शन को आ चुके हैं। केदारघाटी आपदा से निपटने में सरकार ने पूरी ताकत झोंककर जिस तेजी से स्थिति को सामान्य बनाया है, उससे यात्रियों का सरकार के प्रति विश्वास गहराया है। यात्री पूरे उत्साह और आस्था के साथ बाबा केदार के दर्शन को उमड़ पड़े हैं।

चारधाम यात्रियों की सुरक्षा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मुख्यमंत्री के इस ध्येय वाक्य के अनुसार राज्य सरकार के यात्रा इंतजामों और व्यवस्थाओं का असर यात्रा पर दिखाई दिया है। केदारघाटी में 31 जुलाई को आई बड़ी आपदा का जिस प्रकार सरकार ने सामना किया, उसकी आम यात्रियों ने खुले दिल से तारीफ की है। पैदल मार्ग और पड़ावों पर फंसे यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित निकालने में जरा भी देरी नहीं की गई। करीब 18 हजार लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर उन्हें उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया। यही नहीं केदारघाटी में आम जनजीवन को बहाल करते हुए पैदल यात्रा मार्ग को सुधार कर यात्रा भी शुरू कर दी गई। अब दूसरे चरण की यात्रा जोर पकड़ गई है। अक्टूबर और नवंबर माह में भी यात्रा के लिए बड़ी संख्या में यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। 30 सितंबर को हेमकुंड और गोमुख समेत 22 हजार 244 श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचे। इनमें केदारनाथ के अलावा बदरीनाथ में 6811, गंगोत्री 3619, यमुनोत्री 2717, हेमकुंट 1632 और 115 श्रद्धालु गोमुख पहुंचे।

*रिकॉर्ड बनाएगी चारधाम यात्रा*
इस यात्राकाल में बीते दिवस 30 सितंबर तक कुल 37 लाख 91 हजार 205 यात्री चारधाम दर्शन को आ चुके हैं जबकि बीते वर्ष पूरे यात्राकाल में 56.13 लाख यात्री पहुंचे थे। इसी प्रकार वर्ष 2022 में 46.29 लाख और वर्ष 2019 में 34.77 लाख यात्री चारधाम दर्शन को पहुंचे। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा प्रभावित रही। इन दो वर्षों में यात्री संख्या क्रमशः 3.30 लाख और 5.29 लाख रही।

*इस वर्ष 17 दिन की देरी से शुरू हुई चारधाम यात्रा*
इस वर्ष चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हुई है जबकि पिछले वर्ष 23 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही यात्रा का श्रीगणेश हो गया था। तब केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुले थे। इस वर्ष गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 17 दिन बाद यानी 10 मई को खुले हैं, जबकि बदरीनाथ धाम की यात्रा 12 मई से शुरू हुई है। यात्रा अभी अगले माह नवंबर तक चलेगी।

*केदारघाटी आपदा से भी प्रभावित रही यात्रा*
केदारघाटी में 31 जुलाई की रात आई भीषण आपदा का असर भी यात्रा पर पड़ा है। हालांकि धामी सरकार ने तेजी से राहत और बचाव कार्य करते हुए कुछ दिनों के अंतराल में ही आम जनजीवन को बहाल कर दिया लेकिन सुरक्षा कारणों से यात्रा को कई दिनों के लिए रोक दिया गया था।

*बेहतर यात्रा प्रबंधन पर नजर*

-केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर बनाए गए बीस पार्किंग स्थल।
-पार्किंग प्रबंधन के लिए एक क्यूआर कोड-आधारित प्रणाली।
-यातायात प्रबंधन के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती।
-यात्रा पर निगरानी के लिए 850 सीसीटीवी कैमरे और 8 ड्रोन।
-यात्रियों की सुविधा के लिए 56 पर्यटन सहायता केंद्रों की स्थापना।
-ट्रैक रूट को साफ करने के लिए कुल 657 पर्यावरण मित्रों की तैनाती।
-स्वास्थ्य विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर 50 स्क्रीनिंग कियोस्क की स्थापना। स्वास्थ्य मित्र हैं तैनात।
-यात्रा मार्ग पर 156 एम्बुलेंस तैनात। 8 ब्लड बैंक और 2 भंडारण इकाइयां स्थापित
-49 स्थायी स्वास्थ्य सुविधाएं और 26 चिकित्सा राहत पोस्ट। 22 विशेषज्ञ, 179 चिकित्सा अधिकारी और 299 पैरामेडिकल स्टाफ तैनात।

सुगम, सुरक्षित, सुलभ और सुव्यवस्थित चारधाम यात्रा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आते हैं। यात्रियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध हैं। चारधाम यात्रा राज्य की आर्थिकी से भी जुड़ी है। राज्य में आज जिस तेजी के साथ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए हमें यात्रा व्यवस्थाओं को और विस्तार देना होगा। इसकी कवायद भी शुरू कर दी गई है। इस बार केदारघाटी आपदा के चलते व्यवस्थाएं प्रभावित हुई, लेकिन सरकार ने इस कठिन चुनौती का भी दृढ़तापूर्वक सामना कर केदार यात्रा को बहाल किया।

अपर सचिव मुख्यमंत्री मुकेश थपलियाल सोमवार को 39 साल की सेवा पूर्ण करने के बाद सेवानिवृत्त हो गये हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय एवं सचिवालय के अधिकारियों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी।

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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री मुकेश थपलियाल को अधिवर्षता आयु पूर्ण करने पर बधाई दी और उनके स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री मुकेश थपलियाल एक कर्तव्यनिष्ठ और मिलनसार अधिकारी थे। उन्होंने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी और पूर्ण क्षमता के साथ निर्वहन किया। मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी अपर सचिव श्री मुकेश थपलियाल की कार्यशैली की प्रशंसा की।

श्री मुकेश थपलियाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 39 साल की सेवा के दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में सेवा करने का अवसर मिला। नौकरी के दौरान सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों का हमेशा सहयोग मिला। उन्होंने सेवाकाल के दौरान साथ कार्य करने वाले कार्मिकों का भी हमेशा सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया।

उत्तराखंड में लगाए जाएंगे स्मार्ट मीटर, फोन से कर सकेंगे रिचार्ज।

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उत्तराखंड-उत्तराखंड में 6.55 लाख उपभोक्ताओं के घरों स्मार्ट मीटर में लगेंगे । ऊर्जा निगम ने कुमाऊं में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में सभी विद्युत उपकेंद्रों को स्मार्ट मीटर के लिए विकसित किया जाएगा। इसके बाद उपभोक्ता स्तर पर सर्वे शुरू किया गया है। सर्वे पूरा होने के बाद नए मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

ऊर्जा निगम ने प्रदेश में बिजली के पुराने मीटरों को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद प्रारंभ कर दी है। कुमाऊं में 6.55 लाख उपभोक्ताओं को नए मीटरों से जोड़ा जाना है। इसके लिए निगम ने अडानी समूह की कंपनी से अनुबंध किया है। अनुबंध होने के बाद कंपनी ने उपभोक्ताओं के स्तर पर सर्वे शुरू कर दिया है। मैदानी में नगर व ग्रामीण दोनों इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में सिर्फ नगर की परिधि में आने वाले घरों व प्रतिष्ठानों में मीटर बदले जाएंगे। केंद्र सरकार की पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है।

अनुबंधित कंपनी के सर्किल प्रभारी हरीश तिवारी ने बताया कि पहले चरण में ऊर्जा निगम के सभी विद्युत उपकेंद्र को स्मार्ट मीटर के लिए विकसित किया जाना है। इसे लेकर सर्वे हो चुका है और हल्द्वानी क्षेत्र के कुछ उपकेंद्रों में नए स्मार्ट वितरण मीटर लगा दिए गए हैं। साथ ही कुमाऊं के अन्य उपकेंद्रों में भी मीटर बदलने का काम चरणबद्ध तरीके से हो रहा है। वहीं, उपभोक्ता स्तर का सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है। इसमें कंपनी की ओर से नियुक्त सर्वेकर्मी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं। एप्लिकेशन के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है और पूरा रिकार्ड आनलाइन दर्ज कर रहे हैं। मंडल में 20 हजार सर्वे पूरा होने पर नए मीटर लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। इसमें सर्वे और मीटर लगाने का काम समानांतर चलेगा।

घरों में लगे बिजली के मीटर की प्रत्येक माह रीडिंग लेकर मीटर रीडर बिल प्रदान करता है। इसमें महीने में उपयोग की गई बिजली के अनुसार बिल प्राप्त होता है, जबकि स्मार्ट मीटर रिचार्ज आधारित होंगे। जिस तरह से मोबाइल फोन रिचार्ज करने पर संचालित होता है, ठीक उसी प्रकार बिजली के मीटर को भी रीचार्ज करना होगा। ऐसे में रिचार्ज के अनुसार ही बिजली आपूर्ति होगी।

अधिकारियों के अनुसार रिचार्ज खत्म होने के 48 घंटे के भीतर भुगतान करने का मौका मिलेगा। इस अवधि में सप्लाई चालू रहेगी।मोबाइल एप से कर सकेंगे मीटर रीचार्ज
स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल एप से बिजली खर्च के पल-पल का रिकार्ड देख पाएंगे। इसी से मीटर रिचार्ज भी कर पाएंगे। एप में रिचार्ज खत्म होने को लेकर अलर्ट भी मिलता रहेगा। अनुबंधित कंपनी एप तैयार कर रही है। गूगल प्ले स्टोर और एप स्टोर से इसे डाउनलोड कर पाएंगे।

उपभोक्ता संख्या एवं वर्तमान मीटर संख्या
उपभोक्ता का मोबाइल नंबर
मीटर की वर्तमान रीडिंग
बिजली के पुराने बिल
मीटर में लगाया जाएगा एयरटेल का सिम
स्मार्ट मीटर में मोबाइल की तरह ही सिम कार्ड लगाया जाएगा। मीटर लगा रही कंपनी ने कुमाऊं में निजी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के साथ इसके लिए अनुबंध किया है। ऐसे में मंडल के सभी क्षेत्रों में संबंधित कंपनी को अपने नेटवर्क की सुविधा बेहतर तरीके से प्रदान करनी होगी।

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ता मोबाइल नंबर काफी अहम हो जाएगा। मीटर रिचार्ज करने के साथ ही उपयोग का विवरण देखने के लिए भी मोबाइल नंबर से ही एप में लागिन करना होगा। ऐसे में घर में सर्वे करने आने वाले कर्मचारी को अपना सही मोबाइल नंबर बताएं। यदि पुराना नंबर या अन्य विवरण परिवर्तित कराना है तो सर्वे के दौरान ही कराया जा सकता है।