रुद्रप्रयाग।जनपद रुद्रप्रयाग के विकास खण्ड जखोली के अंतर्गत बरसिर रणधार badhani मोटरमाग की दुर्दशा किसी से छिपी नही है यह सड़क सिलगढ़ व बांगर पट्टी के लगभग 30 से 50 हजार की जनसंख्या की लाईफ लाइन मानी जाती है पिछले कई वर्षों से यह सड़क गड्डो व तालाबो में तब्दील हो रखी है इनकी इस सड़क की सुध लेने वाला कोई नही,,सरकारी कार्यकलाप में  सड़क की सुधारीकरण के लिए निविदाएं तो निकाली है लेकिन वो भी सरकारी सिस्टम में फंसी हुई है ।लेकिन इस क्षेत्र के लंबे कुर्ते धारियों को इस सड़क की सुध लेना उन लोगो के सफेद कपड़ो पर दाग लगना जैसे हो रखा है। मुख्यमंत्री के बगल में फोटो शूट करके व चंद शोशियल मीडिया वीरों की मुलाकत मुख्यमंत्री से करवाने पर क्षेत्र का विकास नहीं होगा। सोशियल मीडिया वीरों से हवा बनाने से चुनाव कैसे जीत जाएंगे ये देखने वाली बात होगी।कलफ लगे सफेद कपड़े पहनकर नेता बन जाना और सामाजिक चेतना के साथ राजनैतिक चेतना का आत्मसात होकर नेता बनना स्पष्ट रूप से अलग अलग प्रतिबिम्बित होते हैं। गढ़वाल में एक पखाणा है कोरु नेता अर उखड़ी नेता

डबल इंजन सरकार के संगठन के जिलाध्यक्ष के क्षेत्र बांगर की मोटर सड़क व्यवस्थाओं की मार झेल रही है। यह मोटरमार्ग राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते अधर में लटक रखी है या व्यवस्थाओं के मकड़जाल में उलझी है यह निर्णय लेना कठिन है। मयाली रणधार बधाणी मोटरमार्ग अंतिम साँस ले रही है इस मोटर सड़क पर चलना एवरेस्ट फतह करने जैसे हालत हो रखे हैं।आखिर इस क्षेत्र से पलायन भी न के बराबर है और लगभग 19 से 20 गावों की लाइफलाइन के साथ भगवान वासुदेव मंदिर व बधानीताल जैसे खूबसूरत पर्यटक स्थलों वाला क्षेत्र वर्तमान में व्यवस्थाओं ने क्षेत्र की दुर्दशा से पर्यटन के मानचित्र जगह नहीं बनाई है। यह क्षेत्र के विकास के लिए अपना अहम योगदान देते पर्यटकों के आने से क्षेत्र में स्वरोजगार की सम्भवनाएँ अधिक होती जो की शून्य हैं।मुख्यमंत्री के बगल में फोटो शूट करके व चंद शोशियल मीडिया वीरों की मुलाकत मुख्यमंत्री से करवाने पर क्षेत्र का विकास नहीं होगा। सोशियल मीडिया वीरों से हवा बनाने से चुनाव कैसे जीत जाएंगे ये देखने वाली बात होगी।

क्षेत्र में इस मोटरमार्ग के बारे में पूछने पर क्षेत्रीय लोगों का यही कहना था कि बरसिर रणधार बधानी मोटर मार्ग की दुर्दशा देख कर लगता है यह मोटर मार्ग नही बल्कि कोई घोड़े खच्चर चलने वाला मार्ग है। इस मोटर मार्ग पर लंबे-लंबे कुर्ते धारियों के गांव भी इसी मोटर मार्ग पर पड़ते हैं। कलफ लगे कुर्ते धारी नेता सीधे मुख्यमंत्री से बात करते है क्षेत्रीय विधायक से नही करते क्योंकि इनकी मजबूत पक्कड़ सीधे मुख्यमंत्री से है। अन्य बातों को जितनी करवा लो पर ये अपनी इस बारह गांवों को जोड़ने वाली सड़क के सम्बंध में कुछ नही बोलेंगे। बरसिर रणधार बधानी सड़क ठीक हो जाएगी तो लम्बे कुर्तेधारी राजनीति कहा से करेगे। ये तो गांवो जब जाते है इनको अपने पीछे घूमने वाले चाहिए, क्यो इस सड़क से एक परिवार नही जाता, इनके खुद के परिवार तो बाहर रहता हैं तो इनको क्या समस्या होनी इन्हें इस सड़क से क्या लेना। राजनैतिक मंचो पर बाते तो ये मुख्यमंत्री वाले बोलते है जैसे शासनादेश इनकी जेब मे रहता होगा। यदि इतने बड़े नेता हो तो इस सड़क को एक साल से क्यों लटकाया गया है। यह कटाक्ष जिसने भी किया वह ठेठ गावँ के व्यक्ति हैं उनका किसी भी राजनैतिक दल से कोई संबन्ध नहीं है मोदी ने बहुत अच्छा किया किसान को देखा पर राशन देना बंद करना होगा खेत बंजर और जो बचे भी हैं वो अल्प समय में बंजर हो जायेंगे जैसी चिंता करने वाले लोग इस तरह से व्यवस्था की मार से स्वयं को उपेक्षित समझ रहें हैं यह विचारणीय सवाल पर मंथन अवश्य होना चाहिए।

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