मद्दमेश्वर।।पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसे भगवान मद्महेश्वर के कपाट वेद ऋचाओं व मंत्रोच्चारण तथा सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में शुभ लग्नानुसार ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये हैं। कपाट खुलने के पावन अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने पूजा – अर्चना व जलाभिषेक कर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की।
कपाट खुलने के पावन अवसर पर पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश के द्वारा दूसरी बार भगवान मद्महेश्वर के पावन धाम को आठ कुन्तल फूलों से सजाया था! भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलते ही यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। सोमवार को ब्रह्म बेला पर गौण्डार गाँव में मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजायेंं सम्पन्न कर भगवान मद्महेश्वर सहित तैतीस कोटी देवी – देवताओं का आवाहन किया! ठीक 5 प्रातः बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी तथा भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गाँव से कैलाश के लिए रवाना हुई। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर गौण्डार गाँव सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों ने पुष्प, अक्षत्रों से अगुवाई की तथा लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर मनौती मांगी।
भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ने विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते देव दर्शनी पहुंचकर विश्राम किया तथा 11: 05 बजे मद्महेश्वर धाम के भण्डारी मदन सिंह पंवार, विशाम्बर पंवार ने धाम से शंख ध्वनि देकर डोली को धाम आने का निमन्त्रण दिया तो डोली के साथ चल रहे भक्तों ने शंख ध्वनि देकर निमन्त्रण को स्वीकार किया तथा डोली धाम के लिए रवाना हुई। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ने मुख्य मन्दिर की तीन परिक्रमा कर सहायक मन्दिरों मे शीश नवाया तथा ठीक 11: 15 बजे भगवान मद्महेश्वर के कपाट वेद ऋचाओं व मंत्रोच्चारण के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये! कपाट खुलने के बाद पण्डित विनोद जमलोकी ने परम्परानुसार शुद्धिकरण यज्ञ किया तथा 355 भक्तों ने भगवान मदमहेश्वर के स्वयंभू लिंग पर जलाभिषेक कर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की!