उखीमठ। श्री केदारनाथ के परम शैव सुमधुर आवाज के धनी बद्री केदार मंदिर समिति के वेदपति मृत्युंजय हीरेमठ का आकस्मिक निधन हो गया है। उनके निधन पर संपूर्ण केदार घाटी, जनपद रुद्रप्रयाग सहित अनेक जगह में शोक की लहर है। ऐसे दिव्य पुरुष को खोने से हर कोई दुखी है। उनके जाने का दर्द हमेशा रहेगा और उनकी कमी सदा खलती रहेगी।चालीस वर्षीय मृत्युंजय हीरेमठ के निधन से क्षेत्र में शोक का माहौल है। धार्मिक ,सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा देश-विदेश के भक्तों ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति करार दिया। हीरेमठ हर किसी के दिलों में थे। उनका मृदुल व्यवहार, सौम्यता, कंठ में सरस्वती का वास और हर किसी के प्रति प्रेम को कभी भी भुलाया नही जा सकता है।

भजन माला के सम्राट और बाबा केदार के अनन्य भक्त बीर शैव मृंतुन्जय हिरेमठ (मय्या उम्र ३८ बर्ष) जी नहीं रहे, देहरादून से आकर लोकतंत्र के महा पर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद ऊखीमठ में ‌ अपने केदार निवास में हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया , मय्या केदार बाबा के सेवानिवृत्त पुजारी १०८ श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रौ में मय्या जी तीसरे नम्बर के पुत्र थे, उनके सबसे बड़े पुत्र शिबशंकर लिंग जी बर्तमान में केदारनाथ जी के बरिष्ठ पुजारी हैं एक भाई डाक्टर और एक भाई एच‌ सी एल बैगलौर‌‌में कार्यरत हैं केदार नाथ और औंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में ये वेदपाठी के पद पर कार्यरत थे‌ ,सुबह और रात्रि संध्या में माइक की मधुर आवाज़ से अपने प्रसंसकौं को भावविभोर करने वाली आवाज आज थम गई है ,हर ब्यक्ति के घरौ में मृतुन्जय हिरेमठ के संग्रहित सुबह के भजन की मधुर आवाज़ आज से मात्र एक आवाज रह गई है , ये ब्रह्मचर्य जीवन यापन कर रहे थे इनके निधन से सम्पूर्ण केदार घाटी ने एक नेक इंसान को खो दिया है इनका परिवार मूलरूप से कर्नाटक प्रान्त के बेलगांव से है , ऊखीमठ में इनका परिवार लगभग पचास बर्षौ‌से रह रहा है , मृंतुन्जय ने‌ बैगलूरू से बी , फार्मा की डिग्री ग्रहण‌ की थी ऐसे युवा शांन्त स्वभाव, बिध्वान, बेदौ के ज्ञानी , हमेशा हंसमुख रहने वाले दिवंगत पुण्य आत्मा को बिनम्र श्रद्धांजलि अर्पित,करते हुए उस प्रभु से कामना करता हूं कि प्रभु इन्हें अपने चरणौ में स्थान दें,और शोकाकुल परिवार को इस महान अनहोनी दुःख की घटना को सहन करने की शक्ति प्रदान।

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