बदरीनाथ- भू बैकुंठ धाम बद्रीनाथ में नर नारायण जयंती के आज अंतिम दिन भगवान श्री नर-नारायण की विग्रह मूर्ति भगवान बद्रीविशाल के जन्मस्थल बामणी गांव के समीप लीला ढूंगी में पहुंची जहां सैकड़ों भक्तों के मध्य धर्माधिकारी बदरीनाथ धाम के सानिध्य में और वेदपाठी आचार्य गणों की उपस्थिति में भगवान नर नारायण का दिव्य अभिषेक पूजन हुआ, इस दौरान बामणी गांव में आज देव उत्सव का माहौल था।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में शामिल नर-नारायण ने सतयुग में अवतार लिया और बद्ररिकाश्रम में तपस्या की। बदरीनाथ में उनके अवतरण की खुशी में सदियों से हर वर्ष नर-नारायण जयंती मनाते हैं|
भगवान ब्रह्मा के पुत्र धर्म की पत्नी रुचि के माध्यम से श्रीहरि विष्णु ने नर और नारायण नाम के दो ऋषियों के रूप में अवतार लिया। जन्म लेते ही वे बदरीवन में तपस्या करने के लिए चले गए। उसी बदरीवन में आज बद्रीकाश्रम बदरीनाथ बना है। वहीं नर और नारायण नामक दो पहाड़ है। जो आज भी मंदिर के दोनों छोर पर बदरी पुरी में विद्यमान है।










